
22 सितंबर 2025 से शुरू हो चुके Shardiya Navratri का उत्सव अब अंतिम चरण में पहुंच रहा है, और भक्तों की नजरें टिकी हैं — अष्टमी (30 सितंबर) और नवमी (1 अक्टूबर) पर। क्यों? क्योंकि यही वो दिन है जब घर-घर होती है कन्या पूजन की divine दावत!
लेकिन…क्या आपने कभी सोचा कि जिस कन्या को आप देवी मानकर भोजन करा रहे हैं, उसकी उम्र मायने रखती है?
जी हां! 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को देवी के 9 रूपों का प्रतीक माना जाता है। आइए आपको बताते हैं वो complete “Kanya Bhojan Guide”, जिससे आपका पुण्य खाता भर जाएगा—not just spiritually, but symbolically भी!
2 साल की कन्या = मां अन्नपूर्णा
“प्लेट में जितना खाएं, घर में उतना भर जाए!”
2 साल की कन्या को देवी अन्नपूर्णा माना जाता है। इन्हें भोजन कराने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
3 साल की कन्या = त्रिनेत्री (ज्ञान की देवी)
“ज्ञान ही शक्ति है, और शक्ति तीन आंखों वाली हो तो मजा अलग है!”
इस उम्र की कन्या को भोजन कराना समृद्धि और बुद्धि का आशीर्वाद लाता है।
4 साल की कन्या = मां कात्यायनी
“EMI से छुटकारा चाहिए? तो 4 साल की कन्या को खिला दीजिए!”
इनके पूजन से आर्थिक लाभ और स्थिरता मिलती है।
5 साल की कन्या = मां कालरात्रि
“Medical bills से डर लगता है? ये देवी सब ठीक कर देंगी!”
रोगों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती हैं।
6 साल की कन्या = मां कालिका
“राजयोग activate करना है? ये कन्या आपका shortcut है!”
पूजन से मान-सम्मान और leadership qualities मिलती हैं।

7 साल की कन्या = महागौरी
“Family planning में रुकावट? देवी Direct Bless करेंगी!”
निसंतान दंपत्तियों के लिए विशेष फलदायी।
8 साल की कन्या = श्रीमती (धन-संपन्नता की देवी)
“Bank balance कम है? ये कन्या उसे recharge कर सकती है!”
धन, वैभव और सुख-समृद्धि का प्रतीक।
9 साल की कन्या = Complete Protection Pack!
“क्लेश और विपत्ति से छुटकारा चाहिए? तो लीजिए ये ultimate version!”
पूजन से घर में शांति, सुरक्षा और सुख-शांति बनी रहती है।
और वो 1 बालक क्यों?
“बिना बॉडीगार्ड के देवी जी अकेली नहीं आतीं!”
एक बालक को भी भोजन कराना चाहिए, जिसे भैरव स्वरूप माना जाता है — देवी की रक्षा करने वाले।
बड़ी उम्र की कन्या को देवी मत मान लेना!
धार्मिक मान्यता के अनुसार, 10 साल से बड़ी कन्या को पूजन में शामिल करना उचित नहीं है, वरना देवी भी सोचेंगी — “Sorry, wrong number!”
देवी के रूप में भोजन, और फल कई गुना रिटर्न में!
कन्या पूजन सिर्फ एक परंपरा नहीं, एक spiritual investment है — और जैसे SIP में सही timing ज़रूरी है, वैसे ही कन्या पूजन में सही उम्र की कन्याएं ज़रूरी हैं।
तो इस नवरात्रि 2 से 10 साल तक की देवी रूपी बच्चियों को सम्मान से बैठाइए, भोजन कराइए और आशीर्वाद पाइए।
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